कार्यशाला : तालाब पोखरों के संरक्षण से ही कल का भविष्य सुरक्षित- जलपुरुष डॉ. अशोक कुमार सोनकर

Janpad News Times
Updated At 06 Apr 2025 at 05:01 PM
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बीएचयू के इतिहास विभाग में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
राकेश यादव रौशन
वाराणसी। बीएचयू के इतिहास विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय में दिनांक 28 फरवरी से 01 मार्च 2025 तक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान और तालाबों का जीर्णाेद्धार: एक विमर्श रहा। इसके संयोजक सहायक प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर इतिहास विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय रहे।
कार्यशाला के प्रथम दिवस उद्घाटन सत्र आरम्भ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि प्रो. जय प्रकाश लाल, कुलाधिपति केन्द्रिय विश्वविद्यालय झारखण्ड एवं प्रो. रजनीश शुक्ला, पूर्व कुलपति, महात्मा गॉधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा महाराष्ट्र रहे। जबकि विशिष्ट अतिथि पद्मश्री रामशरण वर्मा बाराबंकी एवं मुख्य वक्ता प्रो. सुधीर कुमार सिंह, नेहरू विज्ञान केन्द्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज रहे। विषय प्रस्तावना प्रो. ए. गंगाथरन इतिहास विभाग ने प्रस्तुत किया एवं अतिथियों का स्वागत प्रो. घनश्याम विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने किया, मंच संचालन स. प्रो. अशोक कुमार सोनकर संयोजक राष्ट्रीय कार्यशाला द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रो. रजनीश शुक्ला ने कहा कि तालाबों, कुण्ड़ों, पोखरों को तभी बचाया जा सकता है, जब उसे आम जनजीवन में जोड़ेगे। जब तक तालाब, पोखरा, कुण्ड आम जनजीवन से जुड़ा रहा, तब तक वह सुरक्षित रहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. जय प्रकाश लाल कुलाधिपति ने कहा कि जल स्रोत अर्थात तालाब, कुण्ड, पोखरा आदि को सरक्षित करने की जिम्मेदारी सभी की है। मुख्य वक्ता प्रो. सुधीर कु. सिंह ने कहा कि तालाबों का जीर्णोद्धार तभी हो सकता है जब पारंपरिक ज्ञान एवं वैज्ञानिकता को एक साथ मिलाकर प्रयास किया जाये। कार्यशाला संयोजक स. प्रो. अशोक कुमार सोनकर ने कहा कि जल है तो कल है जल स्रोत है तो जल है। अर्थात तालाब, कुण्ड, पोखरे आदि जल के स्रोतों का संरक्षण करने से ही भविष्य सुरक्षित हो सकता है।
कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. प्रवेश भारद्धाज इतिहास विभाग ने किया। सह अध्यक्ष प्रो. पूनम पाण्डेय, वसन्त कन्या महाविद्यालय रही। मुख्य वक्ता डॉ. त्रिलोकी पंत एवं डॉ. नीरज सिंह प्रयागराज रहे। मंच संचालन डॉ. रविशेखर सिंह एवं डॉ. रामकुमार ने किया। अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद स.प्रो. अशोक कुमार सोनकर ने दिया।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. मालविका रंजन इतिहास विभाग ने किया तथा मुख्य वक्ता डॉ. राजेश कु. शर्मा वनस्पति विज्ञान का.हि.वि.वि. एवं डॉ. अनिता सिंह आर्य महिला पी.जी. कालेज रही। विषय की प्रस्तावना डॉ. संतोष यादव ने प्रस्तुत की एवं मंच संचालन डॉ. शशिकान्त यादव डी.ए.वी. पी.जी. कालेज ने किया। अन्त में सभी को धन्यवाद स.प्रो. अशोक कुमार सोनकर ने दिया।
कार्यशाला के द्वितीय दिवस में प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. ताबिर कलाम इतिहास विभाग एवं सह अध्यक्ष प्रो. शरद कुमार श्रीवास्त, हिन्दू कालेज जमनिया रहे। मुख्य वक्ता प्रो. राणा पी.बी. सिंह, पूर्व प्रोफेसर भूगोल विभाग एवं वक्ता डॉ. अजीत कु. राय एवं प्रो. ममता भटनागर इतिहास विभाग रही। विषय विमर्श डॉ. अमितेश सिंह एवं श्री चन्दशेखर नमामि गंगे ने किया। मंच संचालन डॉ. सत्यपाल यादव इतिहास विभाग ने किया। अन्त में सभी को धन्यवाद स.प्रो. अशोक कुमार सोनकर ने दिया।
कार्यशाला का द्वितीय सत्र समापन सत्र रहा जिसमें मुख्य अतिथि प्रो. हरिकेश सिंह कुलाधिपति, गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय एवं पूर्व कुलपति जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा बिहार रहें। विशिष्ट अतिथि डॉ. रितेश्वर नाथ तिवारी सहायक प्रोफेसर एवं प्रो. विघ्नेश कुमार, चौधरी चरण सिह विश्वविद्यालय मेरठ रहे। मुख्य वक्ता प्रो. शान्ति स्वरूप सिन्हा, कला इतिहास विभाग, का.हि.वि.वि। अतिथियों का स्वागत प्रो. प्रवेश भारद्धाज प्रभारी विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने किया तथा मंच संचालन एवं धन्यवाद स.प्रो. अशोक कु. सोनकर संयोजक राष्ट्रीय कार्यशाला इतिहास विभाग सा.वि.सं. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. एच. के. सिंह, प्रो. केशव मिश्रा, डॉ. सीमा मिश्रा, डॉ. ब्रिजेश कुमार प्रसाद, प्रो. अनुराधा सिंह, प्रो. सुतापा दास, डॉ. नीरज कु. त्रिवेदी, डॉ. मीनाक्षी झा, डॉ. अशोक सिंह, डॉ. उमेश राय, डॉ. आदेश कुमार, डॉ. प्रमोद गुप्ता, श्री कैलाश विश्वकर्मा, सुनील यादव, अनामिका, रूही, सर्वजीत पाल, प्रिन्स उपाध्याय, अनुराग वर्मा, अंकित आदि शिक्षक, छात्र एवं छात्राएॅ उपस्थित रही।
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