तीन दिवसीय प्रशिक्षण : उर्दू को मजहब की बजाए संस्कृति से जोड़कर देखने की है जरूत
Janpad News Times
Updated At 07 Dec 2024 at 06:48 AM
चंदौली। सकलडीहा डायट पर परिषदीय विद्यालयों के उर्दू शिक्षकों की तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दूसरे दिन शुक्रवार को शिक्षक को प्रशिक्षित किया गया। बताया गया कि उर्दू भाषा को मजहब की बजाए संस्कृति से जोड़कर देखने की जरूत है।
मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने बताया कि उर्दू भाषा हिंदुस्तानी तहजीब व विरासत की छाप छोड़ती है। हिंदुस्तान की सौंधी मिट्टी से उर्दू की खुशबू आती है। इसे धर्म और मजहब के बजाय संस्कृति से जोड़कर देखने की आवश्यकता है।
मगरीब और खाड़ी देशों में उर्दू का तेजी से प्रसार हो रहा है। हाल के वर्षों में भारत सरकार, राज्य स्तर पर एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में इसके प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है।
डायट प्राचार्य विकायल भारती ने भाषाई शिक्षा को लेकर सरकार की नीतियों, योजनाओं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्णित उद्देश्यों को बताया। कहा कि उर्दू विषय को आईसीटी व बदलती प्रोद्योगिकी के साथ जोड़कर देखने के साथ उर्दू के शैक्षिक परिवेश को संवर्धित करने की आवश्यकता है। इस मौके पर प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. अज़हर सईद, उर्दू शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं चंदौली जिलाध्यक्ष शहबाज़ आलम खान, इम्तियाज अहमद, बिजेंद्र भारती, डॉ. मंजू कुमारी, आफताब अहमद, अफशा रूमानी, कसिमुददीन, अलाउद्दीन, शफात अली, इरफान अली आदि रहे।
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