सर फोड़ परंपरा देखने उमड़ा जनसैलाब, भारी फोर्स की मौजूदगी में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ आयोजन
परंपरा के अनुसार, इसके बाद आमतौर पर पत्थरबाज़ी होती है, जो तब तक चलती है जब तक किसी के सिर से खून न निकल जाए। पहले वर्षों में इस दौरान कई लोग घायल हो जाते थे, यहां तक कि ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मी भी इसकी चपेट में आ जाते थे।
चहनिया, चंदौली

बिसुपुर और महुआरीखास के बीच तैनात पुलिस बल
7:16 PM, July 29, 2025
सुधींद्र पांडेय
चहनियां । नाग पंचमी के अवसर पर बिसुपुर और महुआरी खास गांवों के बीच वर्षों पुरानी ‘सर फोड़’ परंपरा मंगलवार को पारंपरिक रूप से संपन्न हुई। इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीणों का भारी हुजूम उमड़ा, वहीं संभावित बवाल को देखते हुए प्रशासन ने मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती की। इस बार पुलिस की सतर्कता के चलते पत्थरबाज़ी की घटनाएं नहीं हो सकीं।
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महुआरी गांव में परंपरा का निर्वहन करती महिलाएं
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सुबह से ही दोनों गांवों में तैयारियां शुरू हो गई थीं। महिलाएं और पुरुष अपने-अपने गांव के मंदिरों में एकत्र हुए। पूजा-पाठ के बाद महिलाओं द्वारा पारंपरिक कजरी गीत गाए गए, जो देर दोपहर तक जारी रहे। शाम चार बजे के बाद दोनों गांवों की महिलाएं व पुरुष नाले के पास निर्धारित स्थल पर एकत्र हुए, जहां महिलाओं ने परंपरा के तहत फूहड़ गालियों वाले पारंपरिक गीत गाकर पुरुषों को उकसाया।
परंपरा के अनुसार, इसके बाद आमतौर पर पत्थरबाज़ी होती है, जो तब तक चलती है जब तक किसी के सिर से खून न निकल जाए। पहले वर्षों में इस दौरान कई लोग घायल हो जाते थे, यहां तक कि ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मी भी इसकी चपेट में आ जाते थे।
हालांकि, इस बार क्षेत्राधिकारी व थाना बलुआ की सतर्कता से पत्थरबाज़ी को रोकने में सफलता मिली। कुछ युवकों ने प्रयास जरूर किया, लेकिन दोनों ओर तैनात भारी फोर्स को देखते हुए भाग खड़े हुए।
बलुआ इंस्पेक्टर डॉ. आशीष मिश्रा स्वयं मौके पर भारी पुलिस बल एवं महिला पुलिस बल के साथ मौजूद रहे और पूरे आयोजन को शांति पूर्ण ढंग से संपन्न कराया।