कहानी: आख़िरी पन्ना

गाँव के स्कूल में रवि को अक्सर मज़ाक का सामना करना पड़ता। पुराने कपड़े, घिसी चप्पलें और कभी-कभी फीस न भर पाने की वजह से उसकी पढ़ाई रुक जाती। सहपाठी हँसते, लेकिन रवि की आँखों में एक अजीब चमक थी। वह कहता,

उत्तर प्रदेश

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12:14 PM, Aug 23, 2025

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एम अफसर खान

रवि एक छोटे कस्बे का लड़का था। उसके घर की हालत बहुत साधारण थी—पिता किराने की दुकान चलाते थे और माँ सिलाई का काम करती थीं। पैसों की तंगी हमेशा रहती, लेकिन पढ़ाई के प्रति रवि का जुनून अलग था। किताबों की खुशबू उसे जैसे किसी और दुनिया में ले जाती।

गाँव के स्कूल में रवि को अक्सर मज़ाक का सामना करना पड़ता। पुराने कपड़े, घिसी चप्पलें और कभी-कभी फीस न भर पाने की वजह से उसकी पढ़ाई रुक जाती। सहपाठी हँसते, लेकिन रवि की आँखों में एक अजीब चमक थी। वह कहता,

“पढ़ाई मेरे लिए सिर्फ नौकरी पाने का ज़रिया नहीं, ये मेरी ज़िंदगी बदलने का रास्ता है।”

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रात में जब बाकी बच्चे सो जाते, रवि पुरानी सौर लालटेन की मद्धम रोशनी में पढ़ाई करता। कई बार बिजली कट जाती तो वह मोबाइल की टॉर्च या मोमबत्ती के सहारे पढ़ता। उसके पास किताबें कम थीं, इसलिए वह सरकारी पुस्तकालय की पुरानी किताबों में नोट्स बनाता। कई बार दोस्तों की पुरानी कॉपियों के आख़िरी पन्नों पर ही पढ़ाई करता, लेकिन उसका हौसला कम नहीं होता।

एक दिन स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी हुई। रवि के पास महंगे मॉडल बनाने के लिए सामान नहीं था। उसने घर के टूटे बक्से, पुराने डिब्बे और कबाड़ से एक छोटा-सा पंखा बनाने का मॉडल तैयार किया। शिक्षकों ने पहले मज़ाक उड़ाया, लेकिन जब पंखा चला तो सब तालियाँ बजाने लगे।

रवि की मेहनत और लगन ने उसे कस्बे से बाहर तक पहचान दिलाई। उसने छात्रवृत्ति हासिल की और शहर के एक बड़े कॉलेज में दाख़िला पाया। धीरे-धीरे, उसने वही सपना पूरा किया जो उसकी आँखों में बचपन से था एक वैज्ञानिक बनना।

सालों बाद, जब रवि एक नामी वैज्ञानिक के तौर पर गाँव लौटा, तो उसने अपने पुराने स्कूल में बच्चों को संबोधित किया। वह मुस्कुराया और कहा, “बच्चों, याद रखना किताब के आख़िरी पन्ने पर भी लिखा एक शब्द तुम्हारी ज़िंदगी बदल सकता है। हिम्मत मत हारना, सपनों के लिए मेहनत करना। क्योंकि शिक्षा ही वो ताक़त है, जो गरीबी की दीवारें तोड़ सकती है।” उस दिन गाँव के कई बच्चे घर लौटकर पहली बार किताबों के आख़िरी पन्ने तक पढ़ने लगे।

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