संतान की दीर्घजीवन के लिए माताओं ने रखा जीवित्पुत्रिका व्रत

संतान की सुख , शान्ति,समृद्ध स्वस्थ तथा दीर्घ जीवन के लिए महिलाओं ने रविवार को निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। पूरे दिन व्रत रहने के बाद शाम को स्नान ध्यान करने के उपरांत नए वस्त्र धारण कर मंदिर व अपने घरों में पुरोहित से कथा का श्रवण किया। कथा श्रवण करने के बाद अपने से बड़ों का पैर छूकर स्वयं व बच्चे की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद लिया। पूजा करने के लिए महिलाओं की भीड़ सरोवरों के तटों व मंदिरों में ए

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नरौली गंगा घाट पर व्रती माता


5:44 PM, Sep 14, 2025

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गंगा घाटों, सरोवरों ,तालाबों के किनारे मेले जैसा दृश्य

चंदौली ।संतान की सुख , शान्ति,समृद्ध स्वस्थ तथा दीर्घ जीवन के लिए महिलाओं ने रविवार को निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। पूरे दिन व्रत रहने के बाद शाम को स्नान ध्यान करने के उपरांत नए वस्त्र धारण कर मंदिर व अपने घरों में पुरोहित से कथा का श्रवण किया। कथा श्रवण करने के बाद अपने से बड़ों का पैर छूकर स्वयं व बच्चे की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद लिया। पूजा करने के लिए महिलाओं की भीड़ सरोवरों के तटों व मंदिरों में एकत्र हुई। नगर में विभिन्न तालाबों पर माताओं ने पूजा पाठ किया। माताएं अपनी संतान की आयु आरोग्य और उनके कल्याण के लिए इस महत्वपूर्ण व्रत को रखती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया या जिमूतवाहन व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

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पर्व पर नगर में मानसरोवर तालाब, अलीनगर तालाब, डीजल कालोनी, आरपीएफ कालोनी, मुगलचक, दामोदरदास पोखरा, प्राथमिक विद्यालय चंधासी, अमोघपुर चौराहा सहित अन्य स्थानों पर समूह में महिलाओं ने पूजन किया। मानसरोवर व अलीनगर रामजानकी तालाब में मेले जैसा दृश्य रहा। श्रद्धालु गाजे बाजे के साथ घर से पूजन स्थल पर पहुंचे। सोमवार की सुबह महिलाएं पूजन करने के बाद व्रत तोड़ेंगी। पर्व को लेकर कुछ दिनों पूर्व से ही तैयारियां पूरी कर ली गई थी। निर्जला व्रत रखकर माताओं ने बेटों के दीर्घायु की कामना की। जीवत्पुत्रिका का पर्व ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत ढंग से मनाया गया। माताओं ने पुत्र की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत किया।चकिया स्थित मां काली जी के पोखरा प्रांगण में मेले जैसा श रहा। व्रती महिलाओं व परिजनों की भीड़ के चलते नगर के काली जी के पोखरे पर जगह शेष नहीं बची। व्रती महिलाएं मन्नत पूरी होने पर गाजे बाजे के साथ साम होते ही सरोवर तट पर पहुंची। जहां विधि विधान से पूजन अर्चन की। इसी तरह चहनियां, इलिया, ताराजीवनपुर में भी पूजा घाटों व मंदिरों में व्रती माताओं की भीड़ लगी रही। सभी गांव के पूजा घाटों सहित अन्य स्थानों पर दोपहर शुरू हुआ पूजा पाठ शाम तक चलता रहा। बरियारपुर, रोहाखी , खखड़ा , निचोट, सैदूपुर, बरहुआ , स्थानीय कस्बा में महिलाएं समूह के साथ ही पहुंच कर विधि विधान से पूजा पाठ कर पुत्र की दीघायु होने व तरक्की की कामना की। विभिन्न संस्थाओं की ओर से साफ सफाई की व्यवस्था की गई थी।

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