लटके हुए लोग रामजी प्रसाद " भैरव " ललित निबन्ध
अभी अभी अत्यधिक संघर्षों से घबड़ाया हुआ , जमीन से थोड़ा ऊपर उठकर , पसीना पोछकर जो लम्बी लम्बी सांसे ले रहा है , दरअसल वही मिडिल क्लास आदमी है । वैसे तो जिसे आदमी होने का गौरव प्राप्त है , वह इलीट वर्ग में गिना जाता है । उसका जमीन से कोई नाता नहीं होता है । इलीट वर्ग का आदमी प्रायः भीड़ भाड़ या सभा , उत्सव में खुद को जमीनी होने का दम्भ भरता है ।

रामजी प्रसाद "भैरव"
5:36 PM, Oct 1, 2025
रामजी प्रसाद "भैरव"
जनपद न्यूज़ टाइम्सअभी अभी अत्यधिक संघर्षों से घबड़ाया हुआ , जमीन से थोड़ा ऊपर उठकर , पसीना पोछकर जो लम्बी लम्बी सांसे ले रहा है , दरअसल वही मिडिल क्लास आदमी है । वैसे तो जिसे आदमी होने का गौरव प्राप्त है , वह इलीट वर्ग में गिना जाता है । उसका जमीन से कोई नाता नहीं होता है । इलीट वर्ग का आदमी प्रायः भीड़ भाड़ या सभा , उत्सव में खुद को जमीनी होने का दम्भ भरता है । मगर सच्चाई से उसका दूर का रिश्ता नहीं होता । मिडिल क्लास का आदमी कमाने खाने वाले तर्ज पर जीवन जीता है । वह जितना कमाता है , उसका डेढा खर्च कर कर्ज में होता है । वह प्रायः जोड़ तोड़ के उधेड़ बुन में लगा रहता है । मिडिल क्लास का आदमी बीबी बच्चों की जरूरतें पूरी करते करते , कब सफेद बालों वाला अधेड़ हो जाता है , उसे पता नहीं चलता । मिडिल क्लास के आदमी के पास गर्व करने जैसी कोई चीज नहीं होती । जब वह पैदा होता है , अभाव और जरूरतें पैदायशी हक बन जाती हैं । उसके सामने उसकी जरूरतें मुँह बाये खड़ी रहती है । जिसमें कुछ पूरी होती हैं । कुछ नहीं । वह बचपन से अपने मन को मारना सीख जाता है । रोटी खाने के लिए गेहूँ पिसवाने उसे खुद जाना पड़ता है । उसे मेहनत करने में शर्म नहीं आती । उसके बच्चों को लेने या छोड़ने के लिए स्कूल बस नहीं आती । उसे खुद जाना पड़ता है । मिडिल क्लास का आदमी अपने बच्चों को बड़ा होते नहीं देख पाता । बच्चे अचानक से बड़े होकर उनके सामने खड़े हो जाते हैं । बेटियाँ तो और भी जल्दी । इलीट वर्ग के लोग जितना खर्च अपने कुत्ते पर करते हैं , उतने में मिडिल क्लास का आदमी , पूरा परिवार चलाता है । मिडिल क्लास आदमी , बीमारी में अच्छे और महँगे हॉस्पिटल में इलाज करवाने की बजाय , खैराती अस्पताल में सुविधाएं ढूंढता है , और न मिलने पर जम कर कोसता है । वह सरकार की फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं को ध्यान से पढ़ता है । बजट सत्र में बजट पेश होने पर कोई रुचि नहीं दिखाता । वह जानता है यह इलीट वर्ग के चोंचले हैं ।
वैसे मिडिल क्लास आदमी गरीब नहीं होता । वह प्रायः इलीट वर्ग जैसा दिखने के प्रयास में आय से ज्यादा खर्च कर देता है । वह दिखावा करता है । इज्जत उसके लिए धार्मिक पूंजी से कम नहीं होती ।जिसे वह गवांना नहीं चाहता । मिडिल क्लास का आदमी बात बात में अपनी नाक आगे कर देता है । जैसे नाक सांस लेने के लिए नहीं , बल्कि इज्जत की पोटली ढोने के लिए बनी हो । कभी कभी मैं सोचता हूँ , भाई , इज्जत तो सबके लिए प्रिय होती है । क्या अमीर क्या गरीब । बीच में नाक को क्यों ले आते हो । नाक को भगवान ने जिस काम के लिए बनाया है , उसका वही प्रयोग रहने दो , ख़ामख़ा इज्जत से क्यो जोड़ते हो । चलो कुछ देर के लिए यदि मैं तुमसे सहमत हो जाऊं , तो क्या फर्क पड़ने वाला है । इलीट वर्ग जिसे एक तरफ रखकर चलता है , उसे मिडिल क्लास आदमी सिर पर उठाए , जीवनभर घूमता है । एक उदाहरण देता हूँ , जैसे कोई व्यक्ति नाव से नदी पार किया । यदि वह समझदार होगा तो नाव को वहीं छोड़ आगे बढ़ जाएगा । अगर बेवकूफ़ होगा तो नाव का मोह नहीं छोड़ेगा । असल बात यह कि मिडिल क्लास आदमी लोक परलोक को मानने वाला सहृदय व्यक्ति होता है । वह किसी के अहसान को जीवन भर ढोता है । वह लोक से ज्यादा परलोक की चिंता करता है । परलोक जिसे वह जीते जी नहीं देख सकता ।उसी परलोक की चिंता में वह भला आदमी बना रहना चाहता है । यह ठीक बात है । कम से कम नैतिकता और मर्यादा तो है । मिडिल क्लास का आदमी कट्टर स्वाभिमानी होता है । कभी कभी उसका स्वाभिमान इस ऊंचाई पर चला जाता है कि अभिमान जैसा लगने लगता है । वास्तव में वह स्वाभिमान ही होता है । वह दया , करुणा से भरा होता है । वह धर्म के पथ पर चलने वाला होता है । धार्मिक भावों से भरा होता है ।
मिडिल क्लास का आदमी स्वप्नजीवी होता है । उसके सपने अनन्त होते हैं । एक सपना पूरा होते ही , दूसरे सपने के पूरे होने की तैयारी में लग जाता है । भिड़ जाता है । जुत जाता है । जैसे सपने सपने न होकर मार्ग के विशालकाय पत्थर हो , जिसे हटाये बिना , एक कदम भी आगे बढ़ाना , मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन हो । मिडिल क्लास आदमी की एक कमजोरी होती है । वह सपने देखना नहीं छोड़ता , किसी भी परिस्थिति और मजबूरी में । ये सपने उसकी सांसे हैं । सपनो से विलग होना । सांसों से विलग होना है । भला जीवित आदमी सांसों से विलग कैसे होगा । अगर होगा तो वह मर जायेगा । मिडिल क्लास आदमी जिंदगी के लिए जद्दोजहद करता है । रोटी के लिए जद्दोजहद करता है । गेहूं उगाने से लेकर रोटी खाने तक के सारे उद्धम वही करता है ।
मुझे धूमिल याद आ रहें है । ऐसे मौके पर उन्हें याद आना ही चाहिए । जब जब रोटी की बात होगी । धूमिल याद आएंगे ।
" एक आदमी रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
Advertisement
जो न रोटी बेलता है
न रोटी खाता है वह सिर्फ रोटी से खेलता है
यह तीसरा व्यक्ति कौन है
इस पर देश की संसद मौन है ।
धूमिल ने दो आदमियों खोज पूरी कर ली , तीसरे की तलाश में वे निकल पड़े । धूमिल के शब्दों में कहें तो उन्हें रोटी से खेलने वाले की तलाश है । रोटी से खेलने वाला मुखौटा बदलता रहता है । शायद इसी लिए धूमिल भी नहीं ढूंढ पाये ।
मिडिल क्लास आदमी पानीदार होता है । वह अपनी कौल का पक्का । अपनी धुन का पक्का । अपनी बात का पक्का होता है । उसे अपनी इज्जत बहुत प्रिय होती है । मिडिल क्लास आदमी को इज्जत विरासत में नहीं मिलती । उसे इज्जत कमानी पड़ती है । इज्जत सब कोई नहीं कमा सकता । पैसा हर कोई कमा सकता है । पैसा कमाना और इज्जत कमाना । दो अलग अलग बातें है । बातें क्या हैं , दो अलग अलग राहें हैं । मिडिल क्लास आदमी उनके बीच सामंजस्य बना कर चलता है । वह किसी एक पथ पर नहीं चल सकता । एक पथ पर चलने से उसके उद्देश्य पूरे नहीं होते । उसकी आँखों में स्वप्नों का जखीरा है । कितने स्वप्न अपनी बारी की प्रतीक्षा में दम तोड़ देते हैं । उसके लिए स्वप्न पानी का बुलबुला नहीं है । स्वप्न एक हकीकत की ओर जाने वाला पथ है । जिस पर उसे चलना है । स्वप्न को साकार करना है । राह में आने वाली दुश्वारियों से लड़ना है । लड़ कर जीतना है । विकास का रास्ता मिडिल क्लास आदमी के लिए , बड़ा कठिन और दुर्गम है । उसे तो रोज के संघर्षों से आगे बढ़ना है । उसे जीवन में आने वाली परेशानियों से सबक लेते हुए , विकास पथ पर अग्रसर होना है । हाँ , यह बात दीगर है कि समय चाहे जितना लगे । कभी कभी ऐसा भी होता है , आदमी एक दो समस्या में ही उलझ कर जीवन खपा देता है । मकड़ी के जाले सी उलझी जिंदगी में विकास के पर्याप्त अवसर नहीं मिलते । एक बात और विकास का मतलब ही होता है ।आप एक एक सोपान शनै शनै चढ़ते चले जाएं , मगर मिडिल क्लास आदमी के लिए यह सहज नहीं , एक चुनौती है जिसके पार जाना है । जब तक कोई चुनौतियों को अपना शगल नहीं बनाएगा , उन्नति के पथ पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता । बात बस इतनी नहीं है । मिडिल क्लास आदमी की चुनौतियाँ उसके घर से शुरू होती हैं । फिर मित्रों के बीच । उस पर भी यदि किसी के सामने चुनौती न तो समझना चाहिए कि वर्षों से वह सड़े हुए पानी सा एक जगह ठहरा हुआ है । उसके विकास पथ में यह ठहराव ही अवरोध है । आप ने देखा होगा या महसूस किया होगा , बहुत से लोग आस पास घेरे रहते है । साथ उठते , बैठते , खाते - पीते है , लेकिन दिल दिमाग में ईर्ष्या , द्वेष , जलन इत्यादि ठूंसे रहते है । न खुद अलग होते हैं , न आप को अलग होने देते हैं । ऐसे लोग बड़े घातक होते हैं । घात - प्रतिघात का खेल खेलते हैं । ऐसे लोगों से उबरना थोड़ा मुश्किल काम है । इसके बाद समाज का नम्बर आता है । कुछ लोगों को आप की उन्नति से चिढ़ होती है । वो गर्त में गिराने के फेर में रहते हैं । यदि आप उससे भी उठ गए तो , ऊंचाई पर बैठे लोग नहीं पचा पाते हैं , और आप को नीचे धकेलने के फिराक में रहते हैं । ऐसी स्थिति में आप को बने रहना है , रोज की चुनौती है । यही है मिडिल क्लास आदमी का जीवन । मुझे एक दो बातें और ध्यान में आ रही हैं ।
आम आदमी के पास एक मात्र पूंजी आत्मबल की होती है । जिसके बल पर वह विपरीत परिस्थियों में भी लड़ता रहता है । वह सत्य का साथी होता है । वह फालतू के झमेलों में नहीं पड़ना चाहता । वह जान चुका है , रोटी बड़ी मशक्कत से कमाई जाती है । रोटी का संघर्ष मनुष्य होने का सबसे बड़ा संघर्ष है । बड़ा पुराना संघर्ष है । जिसकी बात कभी फुरसत में करेंगे ।
