जनपद में उत्साह के साथ मना गोवर्धन पूजा और भैया दूज

चंदौली। जिले भर में गोवर्धन पूजा और भैया दूज का पर्व पूरे उत्साह और पारंपरिक आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं और युवतियों ने गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन की आकृतियाँ बनाकर उनका पूजन-अर्चन किया। गांव-गांव और मुहल्लों में जगह-जगह महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाते हुए भगवान गोवर्धन की पूजा की और लोढ़े-मूसर से प्रतीकात्मक रूप से उन्हें कूटकर श्रद्धा अर्पित की।

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1:42 PM, Oct 23, 2025

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चंदौली। जिले भर में गोवर्धन पूजा और भैया दूज का पर्व पूरे उत्साह और पारंपरिक आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं और युवतियों ने गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन की आकृतियाँ बनाकर उनका पूजन-अर्चन किया। गांव-गांव और मुहल्लों में जगह-जगह महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाते हुए भगवान गोवर्धन की पूजा की और लोढ़े-मूसर से प्रतीकात्मक रूप से उन्हें कूटकर श्रद्धा अर्पित की।

महिलाओं ने गोबर से भगवान गोवर्धन की आकृतियाँ और रंगोलियां बनाकर फूल-मालाओं से सजाया। पूजा के बाद उन्होंने मांगलिक गीत गाए और पारंपरिक कथा सुनाई। ग्रामीण अंचलों में महिलाएं और बच्चे खेतों में भटकटइया और गूंग घास खोजने के लिए निकले — यह परंपरा भैया दूज पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।

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भैया दूज के अवसर पर बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक व रोरी लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की। बदले में भाइयों ने भी अपने बहनों को उपहार देकर स्नेह प्रकट किया। मान्यता है कि इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे, और उनकी आतिथ्य से प्रसन्न होकर उन्होंने आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस दिन बहन के घर जाकर तिलक कराएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा।

ब्रती महिलाओं ने बताया कि यह पर्व भाई की मंगलकामना और दीर्घायु के लिए मनाया जाता है। पूजा के उपरांत महिलाएं भटकटइया घास की कांटों से प्रतीकात्मक रूप से अपनी जिह्वा में चुभाकर यह संकल्प लेती हैं कि भाई को दिया गया श्राप निष्फल हो जाए। क्षेत्र के कस्बों और गांवों में दिनभर पूजा-अर्चना, लोकगीत और पारंपरिक रीति-रिवाजों के बीच भाई-बहन के स्नेह का यह पर्व उल्लास और शांति के वातावरण में सम्पन्न हुआ।

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