आसमान में आदित्य की आभा को व्रतियों ने दिया अर्घ्य, छठ महापर्व का हुआ समापन
चंदौली। सूर्योपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ मंगलवार को काे अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया। इसके पहले भोर में व्रती महिलाएं परिजनों और रिश्तेदारों के छठी माता की गीत गाते घाटों पर पहुंची।वेदी स्थान को पूजा करने के साथ कमर भर पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के उदीयमान होने तक लीन रहे। जैसे ही आदित्य की लालिमा दिखी घाटों पर हर्षोल्लास के साथ जयकारे लगाने लगे और पटाखे फोड़े जाने लगे
चंदौली

6:23 AM, Oct 28, 2025
घाटों पर खूब बजे पटाखे, आस्था के ज्वार से चमक उठे घाट
चंदौली। सूर्योपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ मंगलवार को काे अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया। इसके पहले भोर में व्रती महिलाएं परिजनों और रिश्तेदारों के छठी माता की गीत गाते घाटों पर पहुंची।वेदी स्थान को पूजा करने के साथ कमर भर पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के उदीयमान होने तक लीन रहे। जैसे ही आदित्य की लालिमा दिखी घाटों पर हर्षोल्लास के साथ जयकारे लगाने लगे और पटाखे फोड़े जाने लगे। लोगों ने व्रतियों के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। भास्कर के दर्शन को भोर से ही आस्थावानों का सैलाब पोखरों तालाबों व नदियों के घाटों पर उमड़ पड़ा।
आस्था का महापर्व छठ मंगलवार को उदीयमान सूर्य काे अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया। सुबह व्रती माताओं ने दूध का अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया। भगवान भास्कर के दर्शन को भोर से ही आस्थावानों का सैलाब पोखरों, तालाबों व नदियों के घाटों पर उमड़ पड़ा। व्रती माताओं के गीत जल्दी जल्दी उगी हे सूरज देव, भईले अरघ के बेर से समूचा माहौल भक्तिमय हो गया। घंटों कमर भर पानी में खड़ी व्रती माताओं ने भास्कर से मंगल कामना की। सूर्य देव के आंख खोलते ही हर हर महादेव के उदघोष से वातावरण गूंज उठा।
जनपद के शहरी और ग्रामीण इलाकों में छठ की धूम रही।चार दिन तक पूरा जनपद भक्तिमय वातावरण में डूबा रहा। जिले के पी डीडीयू नगर में मानसरोवर तालाब, रामजानकी तालाब अलीनगर, आरपीएफ कालोनी, दामोदर दास पोखरा सहित अन्य तालाबों पर मंगलवार की भोर से ही काफी भीड़ भाड़ रही। एक तरफ व्रती महिलाएं उनके परिजन पूजा का दीप सजाकर छठ के गीत गा रही थीं तो वहीं तालाब और सरोवर के जल में खड़ी होकर कुछ महिलाएं कष्टी साधना कर रही थीं। इन महिलाओं में जो मन्नत मानती हैं अथवा जिनके पूरे हो चुके होते हैं, दोनों शामिल होती हैं।
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सुबह जैसे ही आसमान में सूर्य की लालिमा दिखाई पड़ी सूप में आस्था का डोला लेकर महिलाएं अर्घ्य देने को तैयार हुईं। उनके परिजन और रिश्तेदार गाय के दूध से अर्घ्य दे रहे थे और परवईतीन परिक्रमा कर रही थीं। अर्घ्य के बाद परवईतीन महिलाएं अपना वस्त्र बदलना शुरू की। उधर उनके परिजन उस वस्त्र से अपना मुंह व अन्य अंगों को पोछ रहे थे। मान्यता है कि यह काफी लाभदायक होता है।
