मछुआरों के जाल में फंसी अमेरिकी कैटफिश, कांटेदार शरीर और बिल्ली जैसे डिजाइन ने खींचा ग्रामीणों का ध्यान
मछुआरे हिंदबाज निषाद के मुताबिक, शनिवार को ऐसी दो मछलियां जाल में फंसी थीं जिन्हें वापस गंगा में छोड़ दिया गया था। रविवार सुबह भी इसी प्रजाति की एक और मछली पकड़ी गई, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि गंगा नदी में इस विदेशी प्रजाति की मछलियां अधिक संख्या में आ चुकी हैं।
चंदौली

11:52 AM, August 3, 2025
धानापुर (चंदौली)। नरौली गांव के गंगा तट पर मछुआरों को उस वक्त हैरानी हुई जब उनके जाल में एक अनोखी विदेशी मछली फंसी। इस मछली के शरीर पर बिल्ली जैसी धारियों वाला पैटर्न और कांटेदार संरचना थी, जिससे इसे नंगे हाथों से पकड़ना बेहद मुश्किल हो गया।
गांव के बुजुर्ग मछुआरों और नाविकों ने बताया कि गंगा नदी में इस तरह की मछली उन्होंने पहली बार देखी है। बड़े पंख और आक्रामक शारीरिक बनावट के कारण यह मछली तुरंत सबका ध्यान खींचने लगी।
मछुआरे हिंदबाज निषाद के मुताबिक, शनिवार को ऐसी दो मछलियां जाल में फंसी थीं जिन्हें वापस गंगा में छोड़ दिया गया था। रविवार सुबह भी इसी प्रजाति की एक और मछली पकड़ी गई, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि गंगा नदी में इस विदेशी प्रजाति की मछलियां अधिक संख्या में आ चुकी हैं।
गूगल से हुई पहचान, निकली अमेरिकी कैटफिश
स्थानीय युवाओं ने जब मछली की तस्वीरें लेकर गूगल इमेज सर्च की, तो पता चला कि यह मछली अमेरिका की प्रसिद्ध प्रजाति कैटफिश (Catfish) है, जो सामान्यतः दक्षिणी अमेरिका की नदियों, तालाबों और झीलों में पाई जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस मछली के शरीर पर न केवल कांटे जैसी सुरक्षात्मक प्लेटें होती हैं, बल्कि इसकी आंतों में ऐसी संरचना होती है जिससे यह हवा में भी सांस लेने में सक्षम होती है। यही वजह है कि यह सूखी सतह पर भी कुछ समय जीवित रह सकती है।
बाढ़ बनी विदेशी प्रजाति के आने का कारण?
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स्थानीय मछुआरों का मानना है कि गंगा में आई हालिया बाढ़ के चलते यह विदेशी प्रजाति नदी में प्रवाहित होकर यहां पहुंची हो सकती है। हालांकि, फिलहाल पकड़ी गई सभी मछलियों को नदी की धारा में वापस छोड़ दिया गया।
ग्रामीणों में कौतूहल, सोशल मीडिया पर वायरल
जैसे ही यह खबर गांव में फैली, लोगों की भीड़ मौके पर जुटने लगी। लोग इस अद्भुत दिखने वाली मछली की तस्वीरें लेकर सोशल मीडिया पर साझा करने लगे, जिससे यह वायरल हो गई है।
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नोट:
विदेशी प्रजातियां अक्सर स्थानीय जैवविविधता और पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसे में इस प्रजाति की मौजूदगी को लेकर मत्स्य विभाग या वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा जांच की आवश्यकता है।