अंत्योदय की बदलती परिभाषा: गरीबी से गरिमा तक....पवन शुक्ला (अधिवक्ता)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था—“भारत की प्रगति मानवता के एक-छठे हिस्से की नियति है।” यह कथन केवल आदर्श नहीं, बल्कि तथ्य है। जब इतने करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकलते हैं, तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। मोदी सरकार की कई योजनाएँ इसी दर्शन को आगे बढ़ाती हैं। उज्ज्वला योजना ने गरीब माताओं के जीवन से धुआँ हटाया, आयुष्मान भारत ने पाँच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सुरक्षा दी, प्रधानमंत्री आवास योजना

7:20 AM, Sep 25, 2025
एम अफसर खान "सागर"
जनपद न्यूज़ टाइम्सपंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर विशेष
आज का भारत विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहा है। पहले जब हम अंत्योदय की बात करते थे तो इसका अर्थ था कि हर गरीब को अन्न, वस्त्र और आश्रय मिल जाए। लेकिन अब समय बदल चुका है। आज अंत्योदय केवल पेट भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आवास, डिजिटल सुविधा, कौशल विकास और आत्मसम्मान जैसे कई आयाम शामिल हो गए हैं। यही वजह है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का वह विचार आज और भी सजीव लगता है, जिसमें उन्होंने कहा था—“गरीबी केवल भौतिक अभाव का नाम नहीं, बल्कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के विकास में बाधा है।”
गरीबी अब केवल आय की कमी का नाम नहीं है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और गरिमा से वंचित होना भी गरीबी का ही रूप है। यही कारण है कि आज इसे बहुआयामी गरीबी (Multidimensional Poverty Index) कहा जाता है, जो व्यक्ति की जीवन-गुणवत्ता के कई पहलुओं को मापता है। भारत में 2013-14 में लगभग 29% लोग बहुआयामी गरीबी में थे, पर 2022-23 में यह घटकर केवल 11% रह गया, यानी करीब 25 करोड़ लोग इससे बाहर आए। अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 6 करोड़ लोगों ने गरीबी की इस परिभाषा से मुक्ति पाई। यही अंत्योदय का वास्तविक स्वरूप है—जब विकास केवल अन्न या आवास तक सीमित नहीं रहता, बल्कि जीवन के हर आयाम को गरिमा और अवसर से जोड़ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था—“भारत की प्रगति मानवता के एक-छठे हिस्से की नियति है।” यह कथन केवल आदर्श नहीं, बल्कि तथ्य है। जब इतने करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकलते हैं, तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। मोदी सरकार की कई योजनाएँ इसी दर्शन को आगे बढ़ाती हैं। उज्ज्वला योजना ने गरीब माताओं के जीवन से धुआँ हटाया, आयुष्मान भारत ने पाँच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सुरक्षा दी, प्रधानमंत्री आवास योजना ने पक्के घर दिए और स्वच्छ भारत मिशन ने शौचालयों के माध्यम से स्वास्थ्य व सम्मान दोनों पहुँचाया। यह सब मिलकर दिखाता है कि अंत्योदय अब केवल बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गरिमा और आत्मसम्मान से भरे जीवन का नया आधार है।
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था—“गरीबों को गरीबी से बाहर निकालना ही सच्चा राष्ट्रधर्म है।” उनकी यह बात आज और भी गूंजती है क्योंकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में गरीबी से मुक्ति का अभियान अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में शून्य गरीबी अभियान शुरू किया है। इस अभियान में लाखों परिवार चिन्हित किए गए हैं और उन्हें विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, ताकि 2027 तक राज्य को गरीबी-मुक्त घोषित किया जा सके। जब किसी परिवार को एक ही दरवाजे से उज्ज्वला, आयुष्मान, जल जीवन मिशन और आवास योजना का लाभ मिलता है, तब अंत्योदय का वास्तविक अर्थ सामने आता है।
