- लोकतंत्र की डाल पर बेताल - रामजी प्रसाद " भैरव " ललित निबन्ध
बेताल चादर तान कर सोने का उपक्रम कर ही रहा था कि विक्रम ने दरवाजे पर दस्तक दी , नींद में खलल पाकर बेताल बड़बड़ाते हुए उठा और दरवाजा खोला । सामने विक्रम को देखकर बड़बड़ाया -" वोह... तुम फिर आ गए ।" विक्रम ने बेताल की बात को हल्के में लेते हुए बोला -" जब तक तुम मेरे साथ चलने के लिए तैयार नहीं होंगे , मैं आता रहूँगा ।" कहते हुए विक्रम तीर की तरह बेताल के कमरे घुस गया और सोफे पर आराम से बैठते हुए बोला -"
निबंध

रामजी प्रसाद "भैरव"
4:24 PM, Oct 20, 2025
रामजी प्रसाद "भैरव"
जनपद न्यूज़ टाइम्सबेताल चादर तान कर सोने का उपक्रम कर ही रहा था कि विक्रम ने दरवाजे पर दस्तक दी , नींद में खलल पाकर बेताल बड़बड़ाते हुए उठा और दरवाजा खोला । सामने विक्रम को देखकर बड़बड़ाया -" वोह... तुम फिर आ गए ।" विक्रम ने बेताल की बात को हल्के में लेते हुए बोला -" जब तक तुम मेरे साथ चलने के लिए तैयार नहीं होंगे , मैं आता रहूँगा ।" कहते हुए विक्रम तीर की तरह बेताल के कमरे घुस गया और सोफे पर आराम से बैठते हुए बोला -" बोलो बेताल , तुम चलोगे मेरे साथ या मुझे तुम्हारे साथ जबरजस्ती करनी पड़ेगी ।"
" मैं चलूँगा तुम्हारे साथ , लेकिन तुम्हें मेरे प्रश्नों का उत्तर देना पड़ेगा ।"
" ठीक है पूछो क्या पूछना चाहते हो ।" विक्रम सोफे पर पसरते हुए बोला ।
बेताल बोला -" मेरी शर्त तो तुम जानते ही हो । लेकिन उसमें एक संशोधन है , तुम बीच में बोल सकते हो ।"
" चलो ठीक है , तुम सवाल पूछो ।" विक्रम लापरवाही से बोला ।
" देखो विक्रम , अब तुम्हारे समय का यह राजतन्त्र नहीं है , यह गणतांत्रिक व्यवस्था का लोकतंत्र है जिसमें जनता को अपना मत रखने का अधिकार है । दुनियाँ के ज्यादातर देशों में लोकतंत्र ही है । जनता मालिक है। राजा वह चुनती है । वह भी पाँच सालों के लिए , उसके बाद जनता तय करती है कि फिर किसे राजा चुनना है । वह जो राजा रह चुका है या फिर कोई दूसरा राजा । "
विक्रम कुछ नहीं बोला । वह गम्भीर मुद्रा बनाये बेताल की बात सुनता रहा । बेताल ने आगे कहा -" जानते हो विक्रम , मुझे लगता है । राजतन्त्र की अपेक्षा लोक तंत्र जनता के लिए ज्यादा हितकारी है । इसमें राजा की भूमिका प्रधान मंत्री की होती है । यदि कोई प्रधानमंत्री अपनी जनता का ठीक से ख्याल रखता है , उनके हित की योजनाएं बनाता है , उन्हें क्रियान्वित करता है , अपने मंत्रियों को अपने अधिकारियों को भ्र्ष्टाचार करने से मुक्त रखता है , और जनता खुश रहती तो शायद इस लोकतंत्र से सुंदर कोई व्यवस्था नहीं होती ।"
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